आज गरीब-मजदूर जब संकट में व्याकुल है तो सत्ता व धर्म की व्यवस्था को अच्छे से समझना चाहिए।देश मे गरीबों के कल्याण के लिए दर्जन भर से ज्यादा योजनाएं चल रही है मगर वो कहाँ जाकर रुकती है उसकी बानगी देखिये!
राजस्थान सरकार ने खाद्य सुरक्षा योजना के तहत सस्ता राशन उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की थी मगर पिछले दिनों राशन उठाने वाले गरीबों की पहचान की गई तो शिक्षक से लेकर आईएएस तक के गरीब राशन खाते सामने आए।देश की जनता इस उम्मीद में टैक्स भरती है कि उनके लिए सुविधाएं खड़ी की जाएगी और गरीबों के लिए सिस्टम खड़ा किया जायेगा जो उनके दुःख-दर्द को दूर करेगा मगर सिस्टम ऐसा खड़ा हुआ कि गरीबों के लिए विधायिका द्वारा बनाई योजनाओं को ही निगलने लग गया।
मेरे गृहक्षेत्र भोपालगढ़ के इन सरकारी गरीबों की लिस्ट देखकर सिर शर्म से झुक गया।क्या बोले,क्या लिखें!मजे की बात है कि जनता इन सबको सम्मानित समझती है।गांवों में गरीबों से ज्यादा तो शायद ये लोग बेबस-लाचार नजर आते है।आईएएस अधिकारी का परिवार भी भूख से व्याकुल होकर गरीबों के हिस्से आया राशन खा गया!जब कोरोना का संकट सामने है तो क्या गरीब लोग इनसे यह उम्मीद कर सकते है कि जो सरकारी योजनाएं है वो गरीबों तक ये लोग पहुंचा देंगे!यह हमारा सिस्टम है।यह सरकारी व्यवस्था है।
जोधपुर की मंडोर तहसील के गांव मांगलिया पालड़ी में अंत्योदय योजना के तहत एक गरीब परिवार की चीनी राशन डीलर तकरीबन 2साल की खुद ही हड़प गया।जब महिला लेने जाती तो सिर्फ गेहूं देकर दफा कर देता!महिला ने ईमित्र वाले से किसी के सहयोग से अपने राशन कार्ड पर वितरित राशन का ब्यौरा निकलवाया तो पता चला कि वो 2साल से चीनी उठा रही है।यह हमारे समाज का,सिस्टम का राष्ट्रीय चरित्र है।
धर्म व सत्ता के गठजोड़ का अद्भुत नमूना देखना हो तो धौलपुर के अररुआ गांव के एक चमत्कार को देखिए।मंदिर के पुजारी का परिवार बीपील है।मान लिया चढ़ावा कम आता होगा और परिवार को राशन की जरूरत पड़ रही थी मगर मंदिर का भगवान भी बीपीएल है!बीपीएल राशन कार्ड के मुख्या ठाकुरजी है और ठाकुरजी के परिवार में 7सदस्य है जिसके नाम है श्रीराम,सीता, लक्ष्मण,महादेव,सालिगराम व पुजारी रामरघुनाथ!
जनता जिन भगवानों के मंदिरों में खुशहाली की मन्नतें मांगती है वो खुद भूख से लाचार होकर पुजारी के पास गरीबों के राशन से बनी रोटियां तोड़ रहे है!यह मैं नहीं कहता बल्कि पुजारी व सरकारी दस्तावेज बता रहे है।बायोमेट्रिक से वेरीफाई करके राशन वितरण किया जा रहा था और ठाकुर जी अंगूठा लगाकर राशन उठा रहे थे!बीपील के राशन कार्ड बनने से लेकर राशन वितरण तक अधिकारियों-कर्मचारियों की पुख्ता निगरानी का दावा है!जब आईएएस का परिवार भी भूखा बैठा व खुद भगवान गरीब बने बैठे है तो क्या इस देश का गरीब धर्म व सत्ता से मदद की उम्मीद कर सकता है?
ये जो गरीबों की दर्दनाक कहानियां सामने आ रही है वो धर्म व सत्ता के गठजोड़ का परिणाम है।ओशो ने कहा था "जब जनता का बड़ा हिस्सा अज्ञानी व मूर्ख हो तो राजा अपनी असफलताओं पर भी जश्न मनवा लेता है!"इस देश मे धर्मों की दरिंदगी व राजाओं की असफलता पर सदा जश्न ही मनाए जाते रहे है।